पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ प्रशासक गुलाब चंद कटारिया की निगम को सलाह, प्रॉपर्टी टैक्स के बड़े डिफाल्टरों पर कसें शिकंजा
- By Vinod --
- Saturday, 23 Nov, 2024
Punjab Governor and Chandigarh Administrator Gulab Chand Kataria's advice to the corporation
Punjab Governor and Chandigarh Administrator Gulab Chand Kataria's advice to the corporation- चंडीगढ़ (वीरेन्द्र सिंह)। नगर निगम चंडीगढ़ की 342वीं मासिक सदन बैठक में नगर निगम चंडीगढ़ की तरफ से मिलने वाले ग्रांट इन एड के अतिरिक्त फंड की मांग पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने सीधे सीधे ‘न’ कर दी। उनका कहना था कि चंडीगढ़ नगर निगम के बने कई वर्ष हो गए हैं। उसने अपने आप सभी विकास कार्यों को खुद ब खुद अंजाम तक पहुंचाया है, किन्तु अब ऐसा क्या हो गया कि एमसी के सामने वित्त का संकट उत्पन्न हो गया।
मेयर कुलदीप कुमार ने उनका स्वागत करते हुए कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन के आप मुखिया हैं। आपके पास बहुत कुछ है, आप हमारे से पद में भी बड़े हैं यहां तक कि आप पिता तुल्य हैं। इसलिए एक पुत्र की हैसियत चंडीगढ़ नगर निगम की आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए ग्रांट इन ऐड के अलावा कुछ अतिरिक्त फंड देने की कृपा करें।
अच्छा पाठ: यही बात अन्य कई पार्षदों ने भी कही। किन्तु राज्यपाल एवं नगर प्रशासक ने निगम को अच्छा पाठ पढ़ा दिया। उन्होंने कहा कि बेहतर होगा कि नगर निगम खुद अपने पैरों पर खड़ा हो और स्वत: अपने विकास के अलावा अन्य संबंधित कार्य करे। उनका कहना था कि निगम के पास प्रॉपर्टी टैक्स का सबसे बड़ा खजाना है, उसके जरिये वह खुद ही सभी कार्यों को क्रियान्वित कर सकता है। कटारिया ने कहा कि बड़े करदाताओं पर करों का नियमों के अंतर्गत अतिरिक्त बोझ डाला जा सकता है किन्तु छोटे करदाताओं पर ज्यादा बोझ डालने से उनकी अंतर्रात्मा को दुख पहुंचेगा जो मानवता के खिलाफ होगा। उन्होंने कहा कि छोटे करदाता से लाख दो लाख की उगाही तो हो सकती है, किन्तु बड़ी कंपनी या धन्ना सेठों में से किसी एक या दो को पकड़ लो तो करोड़ों के टैक्स चुटकी बजाते हुए आ जाएंगे। इसमें भागदौड़ भी कम करनी पड़ेगी।
उन्होंने कहा कि अपने कर्मचारियों की संख्या कम करके उन्हें सीमित करें। इतनी लंबी चौड़ी फौज की आवश्यकता ही क्या है। इसलिए निगम को न्यूनतम संख्या में कर्मचारियों को रखकर काम करना चाहिए। इसमें बजट भी संतुलित रहेगा और आपके कोई काम भी नहीं रुकेंगे। प्रशाासक ने कहा कि नगर के नागरिकों को परेशानी नहीं होनी चाहिए। वेंडर्स की लाइसेंस फीस पर सख्ती बढ़ाओ। उनसे मिलने वाला शुल्क निगम के खाते में मिल सकता है।
आरएलए की बात टाल गए
आरएलए की बात को वह चुपचाप टाल गए। उन्होंने कहा कि आरएलए हमेशा से ही नगर प्रशासन के पास रहा है। उसके अपने ही बड़े खर्चे हैं। इसलिए वह खुद का स्त्रोत पैदा करे। इसके पूर्व सभी पार्षदों ने राज्यपाल एवं नगर प्रशाासक का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया और अभिनंदन किया।
अतिरिक्त फंड की मांग
इसी के साथ ही सभी ने प्रशासक को ग्रांट इन ऐड के अलावा प्रशाासक की तरफ से अतिरिक्त फंड की मांग करते हुए कहा कि चंडीगढ़ शहर बहुत पहले से बसा है। इसकी सुंदरता का तुलना देश ही नहीं, विदेशों के अच्छे-अच्छे शहरों से की जाती है और यह शहर विश्व का सर्वाधिक सुंदर और सुनियोजित शहर है। इसकी सुंदरता कायम रखने के लिए पैसों की आश्यकता है। विगत पांच वर्र्षों से किसी भी वार्ड में विकास कार्र्य नहीं हो सके हैँ। इसलिए हमें अतिरिक्त फंड देकर कृतार्थ करें। इसके सौंदर्य और सुव्यवस्थित ढांचे में कोई खराबी न आ जाए, ऐसा होना चाहिए। कांग्रेस के वरिष्ठ पार्षद गुरप्रीत सिंह गाबी ने उक्त बात कहते हुए प्रशासक से इसके असली ढांचे को कायम रखने की बात की। सभी पार्षद और अधिकारी मिलकर शहर की स्वच्छता में शहर को अच्छे पायदान पर ले जाने का भी प्रयास करेंगे। किंतु प्रशासन ने यह कहकर बात टाल दी कि अपने राजस्व खुद जेनेरेट करें। बहस में भाग लेते हुए भाजपा के कनवरजीत सिंह राणा और सौरभ जोशी ने भी इन्हीं बातों को दोहराया। प्रेमलता ने भी गुरप्रीत गाबी की हां में हां मिलाते हुए फंड की मांग की। किंतु प्रशासक ने कहा कि अपने फंड खुद पैदा करने की आदत डालें।
कमिश्नर ने भी रखी मांग
इसके पूर्व निगम कमिश्नर ने भी निगम के लिए अतिरिक्त फंड की मांग करते हुए लंबी सूची प्रस्तुत की। किंतु उसका कुछ भी असर नहीं हुआ। हां प्रशासक ने इतना आश्वासन अवश्य दिया कि वह अपने परिवार (अधिकारी-सलाहकार) से सलाह करके फिर कुछ कहने की स्थिति में होंगे। इस लिए आप को कुछ समय और प्रतीक्षा करनी होगी। बाद में कमिश्नर की तरफ से प्रशासक का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया। उन्होंने एक संक्षिप्त अनुरोध पर यहां आकर नगर निगम की शोभा बढ़ाई। इसलिए नगर निगम हमेशा-हमेशा के लिए उनका आभारी रहेगा।
सडक़ें हमारी टैक्स भी हमें मिले
पार्षदों ने कहा कि नगर निगम हर वर्ष शहर की 53 हजार किलोमीटर सडक़ोंं की मरम्मत करता है। उस पर भी भारी भरक खर्च आता है। जबकि अधिकांश सडक़ेंं प्रशासन की हैं। किंतु उससे मिलने वाला राजस्व अर्थात नये वाहनोंं के रजिस्ट्रेशन से करोड़ों रुपये का राजस्व मिलता है। सडक़ें निगम की और उसका राजस्व भी निगम को ही मिलना चाहिए।
टायलेट ब्लाकों पर ज्यादा खर्च
मेयर ने कहा कि शहर में निगम के अंतर्र्गत 119 टायलेट ब्लाक हैं, जिनके रखरखाव पर भी लाखों के खर्च आते हैं। किंतु निगम की आमदनी उतनी नहीं है, जितने खर्चें हैं। इसलिए ग्रांट इन एड के अलावा उन्हें कुछ फंड मिलना चाहिए। डोर टू डोर गारबेज कलेक्शन के भी करोड़ों के हिसाब बसे खर्चे हैं। इतना सारा खर्च वह कहां से झेल पायेंगे। कटारिया ने कहा कि हर चुनौनी को वह सकारात्मक रूप से स्वीकार करें फिर कभी परेशानी नहीं आयेगी।